Friday, January 18, 2019

कश्ति



कश्ति
कितने सूरज डूब गए हैं, सागर की गहराई में
मेरी कश्ति मचल रही है, अपनी ही अंगड़ाई में ।।
डूबोगे, ना पार करोगे, सागर में खो जाओगे
कश्ति ही माझी अपनी है, पार करो चतुराई में ।।
हलकी है ये कश्ति अपनी, माझी नाम सहारा है
देखो सागर लांघ रही है, लहरों कि चपलाई में ।।
तुम भी सूरज से जागोगे, डूबोगे फिर सांझ ढले
अहम कि गठरी भारी होगी, डूबोगे अतुराई में ।।
कश्ति है यह मानव जीवन, बड़े जतन से मिलता है
'मुरीद', सागर पार करेगी, डूबो तुम रघुराई में ।।
                                          ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'
                                                    17/01/2019 08:33 PM

Friday, January 4, 2019

Happy New Year



फिर वही मय कदों में रंगा रंग शाम
भरते जाम
टकराते प्याले
छलकता साल
किसी को अच्छा लगता है
किसी को बुरा
पर अच्छा लगे या बुरा
समय रुकता नहीं है
चलायमान है

ये बीत रहा है
वो आ जायेगा

जो आज आएगा
कल चला जाएगा

बारह महीनों का सफ़र
कुछ दे गया, कुछ ले गया
समय छलकते जाम सा
बीत गया, बीत गया

नूतन का फिर स्वागत है
नूतन से फिर आशाऐं
सबकी हों पूरी इसमें
अभिलाषाएं अभिलाषाएं।
                                ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।

नव वर्ष 2019 आप सभी के लिए मंगलमयी हो 
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🍾🎂🍻💖💞

नानाजी


2 बरस बीत गए आपको गए हुए, लेकिन वो टीस आज भी उठती है ।
मेरे प्राथम गुरु नानाजी को समर्पित ये अश्रुपूरित काव्यात्मक श्रद्धांजलि, आखिर ये कविता रूपी आशीर्वाद उन्हीं की देन है। मैं आज जो कुछ भी हूँ उसकी मजबूत नींव नानाजी ने ही रखी थी।

दर्द होता है, टीस उठती है
ये वक़्त किसी के लिये नहीं रुकता
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
समय किसी के लिए नहीं रुकता।

आपका भी समय था
चले गए आप भी
संजो रखी हैं जो यादें
वो आज भी क़रीब हैं
यादों के सहारे ही सही
आप साथ हो हमारे
और
साथ है वो हर संस्कार,
वो हर बात,
ये गीत, 
ये ग़ज़ल,
ये कविता रूपी आशीर्वाद,
ज्ञान की एक अविरल सरिता
प्रकाश का ओजस पुंज
और कड़कती हुई आपकी डांट
सब कुछ है मेरे पास 

सब कुछ है मेरे पास
कड़वे नीम की मीठी पात
कड़वे जीवन के जैसी मिठास
सब कुछ है मेरे पास

बस! नानाजी, आप नहीं हो 
बस! आप नहीं हो।
कहीं नहीं हो।
                                ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
                              30/12/2018 10.45 PM

                                                                                 कड़वे नीम की मीठी पात: शिरडी में गुरु स्थान का नीम।

बात करो


Communication is must for any relationship to survive or else misunderstandings will thrive upon and ruin your life.

बात करो

हो दिल में अहम का घर
रिश्तों को लगे नज़र
तब तुम बात करो,
तब बात करो, बोलो दिल की
तब बात करो ।

तुम बोल न पाए ग़र
अपने में घुटे अगर
तब दुनियावाले बोलेंगे
सो तुम बात करो
तब बात करो बोलो दिल की 
तब बात करो।

किस्सों से यादें हैं
यादें हैं बातों की
यादों को बुनो बनाओ
सबसे बात करो
तब बात करो बोलो दिल की
तब बात करो

संचार नहीं होगा
तो प्यार नहीं होगा
पनपेंगे ग़लत विचार
सो तुम बात करो
तुम अश्क़ों को बेहने दो
लेकिन बात करो

औकात है क्या उसकी
वो सर क्यों उठाता है
ये अना का कीड़ा 
हम से आंख लड़ाता है
तुम बात करो, मारो इसको 
तब बात करो
ऐ 'मुरीद' सबसे बोलो
सबसे बात करो।
                            ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।
                            15/12/2018 10:40 AM

सफर



ये ज़िन्दगी सफर है,कुछ छूटने का डर है
आंखों से जो बहेंगे,उन्हें रोकने का डर है।

दिल से मेरे बहेगी, सरिता तुम्हारे दिल की
तुम आईने से कहदो, कुछ टूटने का डर है।

औरों से क्या कहूँ मैं, तुमने कभी न पूछा
रोती है क्यों नज़र ये, क्या बीतने का डर है।

पल यूं सिमट रहे हैं, आग़ोश में समय के
तन्हाईयों के साये में, भीगने का डर है।
                                               ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
                                              08/12/2018 10:13 PM

वक़्त जीता है और ना मरता है



वक़्त जीता है और ना मरता है
पल में जी लेने, को ये कहता है ।

ओस की बूंद सा, जीवन अपना
कुछ क्षणों का, ये स्वर्ग होता है ।

सागर ए इश्क़ है, जीवन अपना
एक झरने की, तरह बहता है ।

वो जो पत्थर में, छिपा क़ातिल है
मुझको क़ाफ़िर सी सज़ा देता है ।

स्वर्ग की चाह, नहीं है मुझको
ज़र्रे ज़र्रे में, वही बसता है।

हम जो लिखते हैं, अमल करते है
किसको फ़ुरसत है, कौन पढ़ता है ।

कोशिशें बदस्तूर जारी हैं
हौंसले में न फ़रक़ पड़ता है ।

आज संग है, वो कल नहीं होगा
वक़्त अपनी ही चाल चलता है ।

कल जो उस मोड़ पर, मिलें न 'मुरीद'
क्या तुम्हें, सच में फ़रक़ पड़ता है ?
                                              ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
                                             19/11/2018 04:18 PM

तुम जो पढ़कर कर इसे चुराओगे
     हाँ मुझे सच में फर्क पड़ता है 😁😄

मैं शायर हूँ, एक दिवाना



मैं शायर हूँ, एक दिवाना

मेरा भी है, एक फ़साना ।।



दर्द जहां के, आंसू अपने
मेरी दौलत, ग़म का खज़ाना ।।

कितने पराए, कितने अपने
सबसे उल्फ़त, एक तराना ।।

मेरे ख़यालों की ये दुनिया 
उसमें अक़्सर, तेरा आना।।

मेरी मुरादें, मेरे अरमां
ये है सुलगता, एक ज़माना ।।

उसकी दस्तक़, उसकी आहट
हिज्र का है ये, दौर सुहाना ।।

कितने गीतों की मंज़िल है
दीद का मंज़र और मुस्काना ।।

मंज़िल भी, उसको मिलती है
जिसने ना, सीखा शर्माना ।।

अना की दुनिया, वफ़ा के जुमले
मजबूरी है, चलते जाना ।।

शानों पर ले, जाएंगे सब
अश्क़ों में, फिर मेरा आना ।।

दरिया है ये, खूब लुटाओ
'मुरीद' का है ये फ़रमाना ।।
                                         ©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।
                                        02/11/2018 19:45 IST