Monday, May 14, 2012

स्कूल डेज़

    स्कूल डेज़


देखो प्यारी सुबह आ रही
फिर आज से कल मिलेंगे
कुछ बिछड़े साथी होंगे
कुछ भीनी यादें होंगी ।



फिर लम्हे कल से निचोड़ेंगे
दिलों को अपने टटोलेंगे
फिर यादों के मैदानों में
हम खेल पुराना खेलेंगे ।



फिर सावन यादों का होगा
बरखा एहसासों की होगी
कलियाँ मुस्कानों की होंगी
हम कलरव गीत सुनायेंगे ।



अपनी यादों का ये बसंत
संजोये अपने मन में हम
फागुन के रंगों को लेके
हम छा रहे हैं दिग दिगंत ।
                     ___ संकल्प सक्सेना ।

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