Sunday, September 23, 2012

राहें


राहें

कुछ ऐसी राहें होती हैं
कुछ ऐसे सपने होते हैं
जो हमको बुन्नी पड़ती है 
जो हमको पाने होते हैं ।

करीब हम उनके जाते हैं
वो शर्मा के मुड़ जाती है
हम छूने जाते हैं उनको
वो नाज़ हमें दिखलाती हैं 

कुछ ऐसी राहें होती हैं ......

दिल से होके वो जाती हैं 
नज़रों में वो बस जाती हैं
हम राहों पे जो बढ़ते हैं
वो अदा हमें दिखलाती हैं

कुछ ऐसी राहें होती हैं ......

मिलता रास्ता पगडंडी से
वो हमसफ़र हो जाते हैं
क़लम से राहें बनती हैं
स्याही सपने भर जाती हैं 

कुछ ऐसी राहें होती हैं
कुछ ऐसे सपने होते हैं
जो हमको बुन्नी पड़ती है 
जो हमको पाने होते हैं ।              
                                  ___ संकल्प सक्सेना                     




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