Friday, December 27, 2013



सन २०१३ जाने को है। इस बीते साल ने भी हर साल कि तरह बहुत कुछ सिखलाया।कई ऐसे पाठ जीवन के जो शायद गीता/क़ुरान या बाइबल भी आसानी से न समझा पाएं। इस सन २०१३ में बीते हर लम्हे को मेरा नमन और भावभीनि विदाई।
आप सभी का नव वर्ष २०१४ मंगलमय और सुखद हो यही शुभकामनाएं।

सांझ हो रही है 
सब तरफ हर्ष है उल्हास है 
एक सूरज जाने को है 
कोई उसे मनाने को है। 

बहुत सी यादें जो दे गया है मुझे 
कई नए मीत जो दे गया है मुझे 
कैसे जाने दूं ऐसे साक़ी को 
जो नया जाम दे गया है मुझे। 

फिर नए फूल खिल खिलाएंगे 
फिर नए गीत सरसरायेंगे 
तू कहीं दूर सो रहा होगा 
हम तुझे  में  बुलाएंगे। 

आँख से जो है रिस्ता पानी सा 
हम तुझे सीप में सजाएंगे 
होंगे मोती कई जो राहे सफ़र 
फिर तेरे गीत गुनगुनाएंगे।  

बेसबब जो है तूने सिखलाया 
उसको हर्फ-ओ-क़ुरान करते हैं 
जो अफ़ाक़-ओ-शफ़क़ में डूब गया 
क़लम-ए-इमाम इश्क़ करते हैं।
                                                  __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।  

बेसबब- selfless /unreasonable
अफ़ाक़ - horizon, क्षितिज
शफ़क़ - सूर्यास्त के समय आकाश मैं फ़ैली लाली, redness  in  the  sky
हर्फ़- शब्द, words

Friday, November 8, 2013

तुम्हारी नज़र...For My Love


तुम्हारी नज़र...For My Love


तुम्हारी नज़र 

तुम्हारी नज़र का ,असर कुछ हुआ है 
कि धड़कन मेरी, साज़ तेरी दुआ है।

अभी तुझसे मिलने का, पैग़ाम लेकर 
हवा जो मिली, वो तेरी ही अदा है।

अदाओं के जलवों में, खोए हुए हम 
मेरी आह में, आज कैसा नशा है।

खिली है कली देखो, महका चमन है 
सजा गुलसितां और बहकी फ़िज़ा है।

तुम्हारी निगाहों में खोए हुए हम 
मेरी ईद हो, अब तू ही आसरा है।
                                                     __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।

Sunday, November 3, 2013


मेरे सभी मित्रों को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएं। आप सभी का नव वर्ष मंगलमय हो।

दीपों कि सौगात

दीपों कि लड़ी नयनों में  सजी 
कजरा मावस कि रात 
चांदी जैसा मुखड़ा दमके 
ज्यों पूनम कि रात।

वो तन्हाई, वो वीराने 
तिमिर में कहीं खो गए 
नैनों से जब नैन मिलाये 
दीपों कि सौगात।
चांदी जैसा मुखड़ा दमके 
ज्यों पूनम कि रात।

शमा जली परवाने आये 
प्रेम गीत पे लौ इतराए 
बाति बने प्रेम की साथी 
दीपों कि सौगात।
चांदी जैसा मुखड़ा दमके 
ज्यों पूनम कि रात।

नूर नयन से धुली फ़िज़ायें 
'मुरीद' हुए तेरे रूप के साये 
तेरी राह चलें हैं अब तो 
दीपों कि सौगात।
चांदी जैसा मुखड़ा दमके 
ज्यों पूनम कि रात।
                                                         __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।

Sunday, October 13, 2013


पंछी बन पन्ने उड़े, आशाओं के पार
जीवन ज्योति खिल उठी, अरमां तारणहार ।।

जीवन पन्नों की किताब, ये रंगों का खेल
जीवन पन्ने ख़त्म हुए, कर्मों से है मेल ।।
                                       __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।


खुली किताब






खुली किताब

मेरा जीवन एक खुली किताब
जगमगाता, मचलता, रोशन चिराग
मैं भी इसे कहाँ ले चला
तिमिर के पन्ने, था जीवन उदास।

समय के पन्ने पलटते गए
मुझको नज़र आयी फिर एक आस
शायद अंधेरों ने तोड़ा था दम
मुझको नज़र आये मेरे सनम।

मैं था कि पन्ने पलटता नहीं
ये थी की पंखों को देती उड़ान
सहसा ही खुला आरिज़-इ ग़ुलाब
उड़ चली ज़िंदगी प्रीत की फिर उड़ान।

पंछी से पन्नों में महके गुलाब
सुहाना है मंज़र, सुनहरी किताब
'मुरीद अब तो जीवन है उड़ता जहाज़
वो बाहों में  मेरे, समंदर के पार।
                                             __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।

Sunday, September 8, 2013

लब -ए-ग़ज़ल
 
 लब -ए- ग़ुलाब ढूंढ़ते हैं अपना सहारा
अक़्स चूमते हैं, कहें अपना सहारा।।

गलीचा बन महक उठा है, हुस्न तुम्हारा
खुशबू चमन में ढूंढती है, अपना सहारा।।

वो शोख हैं, हसीन हैं, खिलते गुलाब हैं
हम ख़ार ही सही, मगर हैं उनका सहारा।।

ज़ीनत हैं अपने बाग़ की, माली के चश्म ओ नूर
बाहों में भर के लाऊंगा मैं अपना सहारा।।

झुकते हुए चराग हैं, जलवा ए शौक़ है
सजदे में ख़ुमारी है, यही अपना सहारा।।

हुस्न की छवि में कहाँ खो गए 'मुरीद'
हस्ति ए ग़म , ढूंढते हैं अपना सहारा।।
                                                                               __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'

Friday, September 6, 2013


सैनिक 

जो त्याग शौर्य की मूरत हैं 
वो वीर हमारे सैनिक हैं 
जिन्हें देख के दुश्मन थर्राता 
वो वीर हमारे सैनिक हैं।

त्यागे थे अपने घर उनने 
त्यागे थे सब सुख जीवन के 
वो चले थे राह हिमालय की 
ज्यों संत अवतरित भू तल पे।

छोटा सा है जीवन इनका 
और कर्म बड़े हैं जीवन से 
लोगों के दिल में  घर करते 
ज्यों संत पुरुष हों युग युग से।

हवन  कुंड है रण इनका 
हों यज्ञ देश की रक्षा के 
समिधा में अर्पित तनमन है 
ज्यों ऋषि हमारे इस युग के।

त्यगि, तपस्वी, संत, ऋषि 
देखा है सबको वीरों में 
सब शीश झुकाते रब आगे 
यह शीश चढ़ें 'माँ' चरणों में।
                            ___ संकल्प सक्सेना 'लवि'। 



सायों की रहगुज़र

ता उम्र का सफ़र, सायों की रहगुज़र 
नयनों की राह से, अश्क़ों की रहगुज़र।।

बचपन से जवानी, सायों की ज़ुबानी 
ये खेल समय का, ख़्वाबों की रहगुज़र।।

साँसों में महक है, आँखों में तरन्नुम 
ये दौर-ए-जवानी, बाहों की रहगुज़र।।

जो रूठ गए हैं, वो आ नहीं सकते 
बिछड़े हैं जो साक़ी, जामों की रहगुज़र।।

आहों के सहारे, हर्फों की रहगुज़र
साये में क़लम के, ग़ज़लों की रहगुज़र।।
                                                __ संकल्प सक्सेना 'लवि'।

Saturday, August 3, 2013

तन्हाई 

नीला नभ है, नीला सागर 
बीच में है आशाओं का घर 
खोल के खिड़की देख रहा हूँ 
अम्बर तक तन्हाई का घर।

तट रेखा से, क्षितिज पटल तक 
नैनो से फिर हृदय पटल तक 
नील नभी तन्हाई छाई 
यादों की विस्मृत शहनाई।

मैं जो देखूं खिड़की बाहर 
दूर तलक सागर ही सागर 
क्षार हुई अंसुवन से मेरे 
छलकी है लहरों की गागर।

उमस रहा है तन मन मेरा 
नहीं है जीवन चैन का खेला 
सांझ हुए जो तू न आया
मिटटी होगा ये तन मेरा।
                                                          ___ संकल्प सक्सेना 'लवि'।


Monday, July 22, 2013





जननी को ही जीने के अधिकार से वंचित रखता है 

देवी की पूजा करता परिवार से वंचित रखता है।

ये समाज है इसका ढांचा, क्रूरों के हाथों सौंप दिया 
कहीं नन्हे भ्रूण को मार दिया, कहीं चिता की भेट चढ़ा दिया।

सर झुका दिया भारत माँ का, संस्कृति माता भी रो पड़ीं 
उनकी संतानों ने मिलकर, कलियों का जीवन नौंच लिया।

ज़रा आँख उठाकर देखो तुम, पश्चिम की आँखों में झांको 
सीखे थे जो जीना हमसे, कुछ सबक तो उनसे ले लो तुम।

गर नहीं जो संभले वक़्त रहे तो बैर प्रकृति से होगा 
तरसोगे माता, बहनों को , कोप बड़ा भीषण होगा।
                                                                ___संकल्प सक्सेना 'लवि' 

Thursday, July 4, 2013

जेब

न देखना कभी जेब किसीकी 
कहीं रूपए की नज़र न लग जाए।
                                                 ___ संकल्प सक्सेना 'लवि' 

Saturday, June 29, 2013

जो बीत गया, था समय बुरा 
जो साथ रहे वो बचपन है।

बचपन 
=====

बचपन तेरी हर इक बूँद में 
शीतलता की फुहार है 
तेरी बाहों में जो बीते 
वो पल सब गुलज़ार हैं। 

आज तो बस यादों में  है तू 
खुशबू सा एहसास है 
खेल पुराने जो थे खेले 
उन सायों से संसार है। 

जो बिछड़े तेरी बाहों से 
पायल की झनकार  है 
सावन में है खिली धूप 
सजनी का श्रृंगार है।

प्यार के हर अंदाज़ में है तू 
तेरि  बाहों सा एहेह्सास है 
बच्चों से भी छोटे हैं वो 
मासूम सच्चा प्यार है।

अब न जाएगा कहीं तू 
खेल नहीं है प्यार है 
बचपन तू है, उनमें है तू 
खुशियों का संसार है।
                                                        ____ संकल्प सक्सेना 'लवि'


Wednesday, May 15, 2013


तन्हाई

बसंती फूल झड़  गए
पौधों की टहनियां प्यासी हैं 
कांटे बिखरे हैं राहों में 
चलने की मेरी बारी है।

राहों में जलते पाँव मेरे
गर्मी में सुलगते घाव मेरे
नहीं दूर तलक कोई मंजिल
क्रंदन स्वर गूंजे राहों में।

मेरे दिलके हर इक कोने में
तन्हाई डाले है डेरा
रिस्ता  है खून दिल से अब
साँसों का छोटे है फेरा।

'लवि' समय की वीरां राहों में
चिता जली अरमानों की
धुंआ हुईं सब यादें हैं
अस्थि विसर्जित आहों की।
                                                                        __ संकल्प सक्सेना 'लवि'






Wednesday, May 1, 2013

टूटे सपने


टूटे सपने

कितने अरमां  थे
कितने सपने थे
शीशे से नाज़ुक
फूल से कोमल

एक झटका लगा
बिखर गया कांच
चूर हुए सपने
घायल हुए पाँव

आँखों में  आंसू
टूटे सपनों के घाव
चिल चिलाती जलन
थके हुए पाँव

फिर भी चल रहा है 'लवि'
राहों पे अपनी 
चुभे हुए कांच हैं  
लहु  लुहान हैं रास्ते। 
                                                   ____ संकल्प सक्सेना 'लवि' 

Wednesday, March 20, 2013


चश्म - ए - यार का ममनून इस क़दर 
इखलास इनायतें, इश्क़ शाम- ओ- सेहर।। 

रूदाद-ए -मोहब्बत और नाज़नी का नूर 
नाबर्द-ए -इश्क़ संग हिज्र का ये सफ़र।।

क़ार-ए-मोहब्बत आसां नहीं मगर 
उशाक़ बढ़ चले, इश्क की ये डगर।। 

और क्या कहें ?  'असद/लवि ' पशेमान हैं 
महफ़िल-ए-शौक़ है, मुखलिस नहीं मगर।। 
                                          ___संकल्प सक्सेना 'लवि'।

चश्म - ए - यार: eyes of beloved
ममनून : शुक्रगुज़ार 
इखलास: selfless 

रूदाद-ए -मोहब्बत: Tale of  Love 
नाबर्द-ए -इश्क़ : struggle in love
हिज्र: separation
 
क़ार-ए-मोहब्बत: task in love
उशाक़: आशिक़ का बहुवचन          

असद : कवि/शायर 
महफ़िल-ए-शौक़: Gathering of Love
 मुखलिस: जिसे हम प्यार करते हैं, beloved.

Friday, March 15, 2013

हम तो वो मोती हैं ,जो कहीं गहराई लिए बैठे हैं 
सीप की नर्म बाहों में,तन्हाई लिए बैठे हैं।
                                                               __संकल्प सक्सेना 'लवि'।

वो सो रहे हैं, रात की आगोश में 
यहाँ नींद नहीं, 'भोर' मुझे होश में। 

तुम तो अपनी बाहों में एक गुड्डा लेके सोती हो 
यहाँ नींद आती है तन्हाई की आगोश में। 

दूरियों ने बसंत को वीरान कर दिया 
अब तो आयेगा सावन 'लवि' नर्म आग़ोश में।
___ संकल्प सक्सेना 'लवि' ।

Friday, March 1, 2013

मेरा परिचय


मेरा परिचय 

खुशियाँ हों जहां, मेरा परिचय 
हो प्रेम जहां,  मेरा परिचय 
गीतों की धुन, मेरा परिचय 
साजों पर सुर, मेरा परिचय 
होठों से बरसे शब्द सुरा 
अधरों की अगन, मेरा परिचय। 

परिचय मेरा जब उनसे हुआ 
धड़कन से हुआ मेरा परिचय 
सुलगी साँसें, बेचैन ये दिल 
बहके मौसम, मेरा परिचय।

जीवन के क्षण, नहिं कोई किरण 
तन्हाई थी, मेरा परिचय
क्षितिज रेखा और साहिल में,
मिलने की ललक,  मेरा परिचय। 

'लवि' प्रेम के बीच समंदर में 
खिलते ये सुमन, मेरा परिचय 
इठलाती चलती मस्त पवन 
मेहके सावन, मेरा परिचय। 

मिटटी का तन, 
मस्ती का मन 
क्षण बहर जीवन 
मेरा परिचय।
                                       __ संकल्प सक्सेना 'लवि'। 

Inspired by,

मिटटी का तन, 
मस्ती का मन 
क्षण बहर जीवन 
मेरा परिचय।
                  __ डॉ . हरिवंश राय बच्चन।

 

Wednesday, February 6, 2013

बिदाई

 बिदाई 

कुछ , चंद लम्हे घर पे अपने 
फिर दुनिया नयी, पराई भी 
नैनों के दर्पण से छलके 
यादों की शेहनाई भी। 

बचपन की यादों से लेकर 
यौवन की अंगड़ाई भी 
जात पिता की स्वप्न सुन्दरी 
रोए  है शेहनाई भी। 

सखियों की आँखें अब नम हैं 
बहे श्वेत अश्रु के कण हैं 
बीते क्षण की यादें गाती 
सिसके है शेहनाई भी।

आँख छलक आयीं अब मेरी 
कटु हुआ जीवन का क्षण है 
 'लवि', जटिल रीत के हाथ बज रही 
क्रंदन है शेहनाई भी।
                                                        ___ संकल्प सक्सेना 'लवि'।

Friday, January 25, 2013

यादों के दिए


यादों के दिए

बनके तेरी यादों के दिए , जलते हैं 
ये ज़मीन आसमां तले, जलते हैं 

कट रही है ये ज़िन्दगी 
सहमी राहें हैं 
है गुज़ारिश कि हो सेहर 
तेरे शाने में 

खो रहा हूँ मैं बेवजह ,तेरे कूंचे में 
अब न दरकार है मुझे ,इस ज़माने से 

मैं पनाहों में हूँ तेरी,बज़्म कहती है 
कर दे एक नज़्म तू अदा, शान - ए - महफ़िल में 

दिल की गहराईयों में आज , बेरहम बेनज़ीर 
आज हम बेक़स - ए - चिराग, जलते हैं 

बनके तेरी यादों के दिए , जलते हैं 
ये ज़मीन आसमां तले, जलते हैं 
                                      ____संकल्प सक्सेना 'लवि'
कूंचे: गली ,बेनजीर: unmatchable / uncomparable ,बेक़स : Lonely 

Tuesday, January 22, 2013

रूठी क़लम




















रूठी क़लम 

क़लम मेरी क्यों सो रही तुम? 
क्या तुम्हें एहसास है ?
क्या है बीती इस ह्रदय पे? 
क्या मेरे जज़्बात हैं ?

क्यों नहीं तुम जागती हो? 
तुम हो ख़ुद प्राची किरण 
तुम हो वो स्वछन्द चिड़िया 
जिसको ना बांधे गगन 

क्यों है ये आलस तुम्हें ?
क्यों सोयी हो शव सी कहो? 
हंस रहे हैं लोग मुझपे 
दम तोड़ता 'लवि' अब जगो 

ग़र नहीं तुम में हो रंग 
मेरे ग़म से लेलो रंग 
मान जाओ मेरी प्रियवर 
फिर न दिखें रूठे बलम ।
                                                      __ संकल्प सक्सेना 'लवि' ।

पूनम





एहसास विमल( Vimalendu Tiwari) के शब्द लवि के 


पूनम 



दिल का साज़ है पूनम 
अस्फ़िया( Pure, clear ,white) रात है पूनम 
जो उपजे दिल की धड़कन से 
अश्हर (famous,Popular) ये गीत है पूनम 

ये ज़ुल्फ़ें रात है पूनम 
बदन ये चांदनी पूनम 
जो होती है तू रातों में 
जवां हर कैकशां पूनम 

आया हूँ मैं कोठे पे 
मेरी तन्हाइयां चुप हैं 
नहीं तू सामने मेरे 
मगर ये रात है पूनम 

तेरी यादों के साए में 
उफ़नता गीत ये पूनम 
क़लम व्याकुल 'लवि' की है 
'विमल' एहसास है पूनम 
                                                           ____संकल्प सक्सेना 'लवि '