बिदाई
कुछ , चंद लम्हे घर पे अपने
फिर दुनिया नयी, पराई भी
नैनों के दर्पण से छलके
यादों की शेहनाई भी।
बचपन की यादों से लेकर
यौवन की अंगड़ाई भी
जात पिता की स्वप्न सुन्दरी
रोए है शेहनाई भी।
सखियों की आँखें अब नम हैं
बहे श्वेत अश्रु के कण हैं
बीते क्षण की यादें गाती
सिसके है शेहनाई भी।
आँख छलक आयीं अब मेरी
कटु हुआ जीवन का क्षण है
'लवि', जटिल रीत के हाथ बज रही
क्रंदन है शेहनाई भी।
___ संकल्प सक्सेना 'लवि'।