चश्म - ए - यार का ममनून इस क़दर
इखलास इनायतें, इश्क़ शाम- ओ- सेहर।।
रूदाद-ए -मोहब्बत और नाज़नी का नूर
नाबर्द-ए -इश्क़ संग हिज्र का ये सफ़र।।
क़ार-ए-मोहब्बत आसां नहीं मगर
उशाक़ बढ़ चले, इश्क की ये डगर।।
और क्या कहें ? 'असद/लवि ' पशेमान हैं
महफ़िल-ए-शौक़ है, मुखलिस नहीं मगर।।
___संकल्प सक्सेना 'लवि'।
चश्म - ए - यार: eyes of beloved
ममनून : शुक्रगुज़ार
इखलास: selfless
रूदाद-ए -मोहब्बत: Tale of Love
नाबर्द-ए -इश्क़ : struggle in love
हिज्र: separation
क़ार-ए-मोहब्बत: task in love
उशाक़: आशिक़ का बहुवचन
असद : कवि/शायर
महफ़िल-ए-शौक़: Gathering of Love
मुखलिस: जिसे हम प्यार करते हैं, beloved.