Friday, September 6, 2013


सैनिक 

जो त्याग शौर्य की मूरत हैं 
वो वीर हमारे सैनिक हैं 
जिन्हें देख के दुश्मन थर्राता 
वो वीर हमारे सैनिक हैं।

त्यागे थे अपने घर उनने 
त्यागे थे सब सुख जीवन के 
वो चले थे राह हिमालय की 
ज्यों संत अवतरित भू तल पे।

छोटा सा है जीवन इनका 
और कर्म बड़े हैं जीवन से 
लोगों के दिल में  घर करते 
ज्यों संत पुरुष हों युग युग से।

हवन  कुंड है रण इनका 
हों यज्ञ देश की रक्षा के 
समिधा में अर्पित तनमन है 
ज्यों ऋषि हमारे इस युग के।

त्यगि, तपस्वी, संत, ऋषि 
देखा है सबको वीरों में 
सब शीश झुकाते रब आगे 
यह शीश चढ़ें 'माँ' चरणों में।
                            ___ संकल्प सक्सेना 'लवि'। 

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