Monday, June 1, 2015


उशाक़ तेरी राह में, निसार हो चले 
ज़िन्दगी के इल्म का, वो सार हो चले ।। 

मंज़िलों की आँख में, झाँका था इस क़दर 
आसमां भी आशिक़ों के यार हो चले ।।

तूफ़ान से भरी नदी, जाना था इस तरफ़ 
इश्क़ का जुनून था, वो पार हो चले ।।

दिल्लगी नहीं, ये ख़ुमारी का था असर 
जो ख़ाक़ करने आए थे, शिकार हो चले ।।

'मुरीद' तिश्नगी के, सभी इस क़दर हुए 
फ़रीद तेरी राह पे, हज़ार हो चले ।।
                                              __संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।

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