जीवन
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सूरज तू उगता है, आँखों का तारा बनकर
जीवन तू चलता है, नदिया की धारा बनकर।।
चढ़ती धूप सुहानी, हर दिन की यही कहानी
माझी, पार है जाना, अपनों का प्यारा बनकर।।
खिलती हुई ये कलियाँ, महकी हुई जवानी
इन पर ना इतराना, जाएगा बेचारा बनकर।।
नमी है इन आँखों में, सीली हुई हैं राहें
रोया इन राहों में, वो बादल आवारा बनकर।।
इश्क़ का अफ़साना, आशिक़ का यही फ़साना
'मुरीद' धुन में गाना, तुम जीवन, इकतारा बनकर।।
__संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।
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