Tuesday, August 9, 2016


शुक्रिया 

मैं तुझे क्या दूँ , मोहब्बत के सिवा 
आशिक़ी क्या है, इबादत के सिवा ।। 

डोर है इश्क़ की बांधे हमको 
ये नशा क्या है, अक़ीदत के सिवा ।।

अश्क़ बहते हैं, दिल मचलता है 
ये वज़ा क्या है, विलादत के सिवा ।।

तू मेरा हर गुनाह माफ़ करे 
ये अदा क्या है, इनायत के सिवा ।।

वो हमें प्यार से, बुलाएं 'मुरीद'
ये अदा क्या है, नज़ाक़त के सिवा ।।
                                 __संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
इबादत: पूजा। 
आशिक़ी: Passion

अर्धांगनी


मुझको मेरी अर्धांगनी स्वीकार कर 
भटका हुआ था मैं, मुझे स्वीकार कर 
मेरे ह्रदय की आग अब तू पार कर 
मेरे नयन की राह अब तू पार कर। 

मेरे हर इक खोए हुए एह्सास सुन 
जो बस रही थी मुझ में, वो हर श्वास सुन 
तुझको मिलेगी राह, मेरी आह सुन। 

फिर बह चलेंगी दिल की सब गहराइयाँ 
मेरे क़लम की वो करुण अंगड़ाइयाँ 
बजने लगेंगी फिर मधुर शहनाइयाँ

तू बूँद बनकर हर नदी को पार कर 
मेरे ह्रदय की आग अब तू पार कर 
मेरे नयन की राह अब तू पार कर
भटका हुआ था मैं, मुझे स्वीकार कर
मुझको मेरी अर्धांगनी स्वीकार कर। 
                                  __संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।




मैंने तुम्हारे दिल से, वही बात कही है 
जो बात मेरे दिल में, सदियों से दबी है।।

आँखों में मेरे प्यार के, जज़्बात वही हैं 
जो हर जिगर के पार हो, ये बात वही है।।

मैं हूँ, ये शोख़ हुस्न है, ये रात वही है 
बरसात में निकल रहा, महताब यही है।।

दीवानगी में गा रहा, ये गीत पुराना 
मेरे लबों से बह रही, ये कैसी ख़ुशी है ।।

तुमको हमारे प्यार पर, क्यूँ हो न ऐतबार 
जो लिख रहे 'मुरीद' हैं वो, तूने ही दी है ।।
                                          __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।